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ड्रैगन फ्रूट की खेती करके लाखों कमा रहे किसान

ड्रैगन फ्रूट की खेती करके लाखों कमा रहे किसान

हमारे यूजर श्री संजय शर्मा जी, राकेश कुमार ग्राम कलुआ नगला, ने ड्रैगन फ्रूट के बारे में जानकारी मांगी थीड्रैगन फ्रूट मूलतः वियतनाम,थाईलैंड,इज़रायल और श्रीलंका में मशहूर है.या आप कह सकते हैं की वहीं से ये दुनियां में फैला है.ड्रैगन फ्रूट का पेड़ कैकटस प्रजाति का होता है। इसे कम उपजाऊ मिट्टी और कम पानी के साथ भी उगाया जा सकता है। इसको बीज के साथ भी उगाया जा सकता है लेकिन ये एक लम्बी और कठिन प्रक्रिया है इसको कटिंग के साथ उगाने की सलाह दी जाती है इसके फ्रूट से शरीर को कई पोषक तत्व मिलते हैं इसको खाने से मधुमेह, शरीर में दर्द और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो की शरीर को कई तरह के रोगों से लड़ने में सहायता करता है। भारत में भी इसकी मांग बढ़ती जा रही है। इसलिए ड्रैगन फ्रूट की खेती भारत में भी बढ़ने लगी है।

लगाने का समय:

ड्रैगन फ्रूट को साल में दो बार लगाया जा सकता है एक फरवरी और सितम्बर के महीने में इसको लगाते समय ध्यान रखना चाहिए की मौसम ज्यादा गर्म न हो जिससे की पौधे को ज़माने में दिक्कत न हो। जैसा की हमने ऊपर बताया है इसकी कटिंग को लगाना ज्यादा अच्छा होता है और उसके जल्दी से फल आने की गारंटी होती है। इसके फल सितम्बर से दिसंबर तक आते हैं इनको 5 से 6 बार तोडा जाता है।

मिट्टी की सेहत:

इसको जैसा की हमने बताया है इसको किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है दोमट मिटटी सबसे ज्यादा मुफीद होती है लेकिन क्योकि ये कैक्टस प्रजाति का पौधा है तो इसे कम उपजाऊ,पथरीली और कम पानी वाली जगह भी आसानी से उगाया जाता है। इसकी मिटटी में जल जमा नहीं होना चाहिए. ये पौधा कम पानी चाहता है. बेहतर होगा की इसको ऐसी जमीन में लगाया जाना चाहिए जहाँ पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था हो और जहाँ पानी  का ठहराब न हो।

उपयुक्त जलवायु:

इसको बहुत ज्यादा तापमान भी बर्दास्त नहीं होता नहीं होता है तो इससे बचने के लिए इसके लिए छाया की व्यवस्था की जा सकती है. वैसे गर्मी से बचने के लिए इसमें समय समय पर पानी देना होता है. पानी देने के लिए ड्राप सिचांई ज्यादा अच्छी रहती है. एक बार कम तापमान में इसका पौधा जम जाये तो ये ज्यादा तापमान को भी झेल लेता है।

खेत की तैयारी:

इसके लिए खेत को समतल करके अच्छी जुताई करके 2 मीटर के अंतराल पर 2 X2 X2 फुट के गड्ढे बना देने चाहिए तथा इसको 15 दिन के लिए खुला छोड़ देना चाहिए जिससे की इसकी गर्मी निकल जाये उसके बाद इसमें गोबर की सूखी और बनी हुई खाद बालू , मिटटी और गोबर को बराबर के अनुपात में गड्ढे में भर देना चाहिए और कटिंग लगाने के बाद रोजाना शाम को ड्राप सिंचाई करनी चाहिए. ये पौधे को जमने में और बढ़ने में सहायता करता है।

ड्रैगन फ्रूट्स के प्रकार:

[caption id="attachment_2984" align="aligncenter" width="300"]Dragon fruit ड्रैगन फल[/caption] ड्रैगन फ्रूट्स ३ तरह के होते है. लाल रंग के गूदे वाला लाल रंग का फल , सफेद रंग के गूदे वाला पीले रंग का फल और सफेद रंग के गूदे वाला लाल रंग का फल. सभी तीनों तरह के फल भारत में उगाये जा सकते हैं. लेकिन लाल रंग के गूदे वाले लाल फल को भारत में ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है. लेकिन इसकी उपज बाजार की मांग के अनुरूप करनी चाहिए. इसका बजन सामान्यतः 300 ग्राम से 800 ग्राम तक होता है और इसके फल की तुड़ाई एक पेड़ से 3 से 4 बार होती है।

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रखरखाब:

  • इसके पेड़ को किसी सहारे की जरूरत होती है क्योकि जब पेड़ बढ़ता है तो ये अपना वजन सह नहीं पता है तो इसके पेड़ के पास कोई सीमेंटेड पिलर या लकड़ी गाड़ देनी चाहिए जो की इसके पेड़ का बजन सह सके।
  • आप ड्रैगन फलों के पौधों को कटिंग और बीज दोनों से उगा सकते हैं। हालांकि, बीज द्वारा ड्रैगन फल की सिफारिश नहीं की जाती है क्योंकि इसमें लंबा समय करीब करीब 5 साल का वक्त लग जाता है।
  • जब आप कटिंग से ड्रैगन फ्रूट उगाते हैं, तो 1 फुट लंबाई का 1 साल पुराना कटिंग लगाने के लिए बहुत उपयुक्त होता है।
  • ड्रैगन फ्रूट कुछ शेड को सहन कर सकता है और गर्म जलवायु परिस्थितियों को प्राथमिकता देता है। इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं है.ड्रैगन फ्रूट प्लांट को मध्यम नम मिट्टी की आवश्यकता होती है जो कि ड्राप सिंचाई से पूरी कि जा सकती है.
  • आप फूल और फल आने के समय पानी की मात्रा बढ़ा सकते हैं। ड्रैगन फ्रूट कि खेती में ड्रिप सिंचाई ही सबसे उपयुक्त होती है।
  • ड्रैगन फल आसानी से बर्तन, कंटेनर, छत पर और घर के बगीचे के पिछवाड़े में उगाए जा सकते हैं.यदि आप कंटेनर को सूरज की रोशनी के लिए खिड़की के पास रखते हैं, तो ड्रैगन फलों को घर के अंदर उगाया जा सकता है।
  • ड्रैगन फलों के पौधों को दुनिया के उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय स्थानों में उगाया जा सकता है।
  • किसी भी अन्य फलों के पौधों की तरह, ड्रैगन फलों के पौधों को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
  • ड्रैगन फ्रूट के पौधों को 40 ° C के तापमान तक सबसे अच्छा उगाया जा सकता है।

बाजार:

इसकी मांग वहां ज्यादा होती है जहाँ हेल्थ को लेकर लोग जागरूक होते है इसका मतलब है की आप इसको बड़े शहरों में बेच सकते हो जहाँ आपको इसकी अच्छी कीमत मिल जाएगी. इसका कीमत 150 से 250 रुपये किलो के हिसाब से होती है इसको अगर एक्सपोर्ट करना हो तो जैसे ही इसका रंग लाल होना शुरू हो तभी इसको तोड़ लेना चाहिए तथा ध्यान रहे की इसमें कोई निशान या किसी बजन से दबे नहीं, नहीं तो इसके ख़राब होने के चांस बढ़ जाते है।

रोग:

ड्रैगन फ्रूट में कोई रोग नहीं आता है अभी तक ऐसा कुछ रोग इसका मिला नहीं है हाँ लेकिन ध्यान रहे जब इसके फूल और फल आने का समय हो उस समय मौसम साफ और शुष्क होना चाहिए आद्रता वाले मौसम में फल पर दाग आने की संभावना रहती है. रखरखाब में सबसे ज्यादा इसको लगाने के समय पर जरूरत होती है।

खाद:

  • ड्रैगन फ्रूट्स को खाद की जरूरत ज्यादा होती है. ये एक गूदा वाला फल होता है तो इससे अच्छा और बड़ा फल लेने के लिए इसके  फलों के पौधों को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
  • पौधे की उपलब्धता और बाजार के बारे में स्थान स्थान के हिसाब से बदल जाते हैं. इसके लिए बेहतर है की आप अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी से बात करें तथा पूरी जानकारी लेने के बाद ही इसकी खेती शुरी करें।
प्याज और टमाटर के उत्पादन में 5% कमी और बागवानी में 10 गुना बढ़ोत्तरी, सरकारी आंकड़ा जारी

प्याज और टमाटर के उत्पादन में 5% कमी और बागवानी में 10 गुना बढ़ोत्तरी, सरकारी आंकड़ा जारी

भारत में केंद्रीय कृषि मंत्रालय के द्वारा हर साल अग्रिम अनुमान जारी किया जाता है, जिसमें फसलों में हो रहे वृद्धि या गिरावट के बारे में बताया जाता है। बता दे कि केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्रालय के द्वारा साल 2021-22 के लिए भी तीसरा अग्रिम अनुमान जारी कर दिया गया है, जिसमें बागवानी, दलहन, तिलहन एवं खाद्यान्न कृषि उत्पादन का आंकड़ा जारी किया गया है।

इस अनुमान के मुताबिक टमाटर का उत्पादन लगभग 5 फीसदी तक कम हुआ है, वहीं आपको बता दें कि पिछले साल टमाटर का पैदावार लगभग सवा दो करोड़ टन थी, वहीं इस साल दो करोड़ के आसपास में ही रह गई। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के द्वारा जारी इस अग्रिम अनुमान के अनुसार सिर्फ टमाटर ही नहीं बल्कि कई अन्य फसलों में काफी गिरावट हुई है, जिसका मुख्य कारण मौसम में बदलाव बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस साल होने वाले आलू के उत्पादन में लगभग 5% की कमी रहने की उम्मीद है। यह उम्मीद मौसम में हो रहे बदलाव के कारण जताया जा रहा है, पिछले साल के आंकड़े के अनुसार आलू का उत्पादन 5 करोड़ 61.7 लाख टन था। वहीं इस साल आलू का उत्पादन 5 करोड़ 33.9 लाख टन के आसपास ही रहेगा, इस जारी तीसरा अग्रिम अनुमान में बताया जा रहा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस बार धान दलहन और तिलहन के उपज के रंगों में काफी वृद्धि हुई है, वही टमाटर फल व आलू के उत्पादन में लगभग 4 से 5% का गिरावट आया है।

"कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय/विभाग, भारत सरकार द्वारा जारी वर्ष 2021-22 के लिए 
बागवानी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन का तीसरा अग्रिम अनुमान" से सम्बंधित सरकारी प्रेस 
इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) रिलीज़ का दस्तावेज पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें.

प्याज के उत्पादन में होगा बढ़ोतरी

2021-22 के आंकड़ों के अनुसार मौसम में बदलाव के कारण प्याज का उत्पादन काफी प्रभावित रहेगा, इसके बावजूद भी प्याज के उत्पादन में पिछले बार की तुलना में इस बार काफी बढ़ोत्तरी का अनुमान लगाया जा रहा है। इससे यह जाहिर होता है कि पिछले साल प्याज का उत्पादन काफी कम रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार इस बार प्याज का उत्पादन लगभग तीन करोड़ 12.7 लाख टन की संभावना है, वहीं पिछले साल देखा जाए तो प्याज का उत्पादन लगभग दो करोड़ 66.4 लाख टन था।

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गेहूं के उत्पादन से देश पर कोई प्रभाव नहीं

कृषि मंत्रालय के द्वारा जारी इस अग्रिम अनुमान में अभी देखा जा रहा है कि प्रमुख फसलों के अलावा इस बार बागवानी वाले फसल में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी। बता दें कि आंकड़ों के मुताबिक इस साल प्रमुख खाद्यान्न में जैसे गेहूं के उत्पादन को लेकर कुछ पूर्वानुमान खास अच्छा नहीं लगाया जा रहा है, संभावना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल गेहूं का उत्पादन 31 लाख टन कम होकर 10.64 करोड़ टन रहने की संभावना है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है, कुल खाद्यान्न उत्पादन की बात करें तो वह पिछले साल के मुताबिक 37.7 लाख टन ज्यादा है। आपको बता दें कि इस जारी अग्रिम अनुमान में 31.45 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का पूर्वानुमान है, आपको यह भी बता दें कि इतना उत्पादन के साथ भी गेहूं का स्टॉक देश में अच्छा है, इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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टॉप पर फल एवम् सब्जी की खेती

देशभर में सरकार बागवानी फसल की खेती को बढ़ावा देने में काफी तत्पर दिख रहा है, जिसका परिणाम भी दिखना शुरू हो गया है। सरकार की तत्परता के साथ-साथ किसानों की तत्परता भी सब्जी की खेती की तरफ काफी बढ़ी है, जिसके कारण इस साल जारी तीसरे अग्रिम अनुमान में सब्जियों का उत्पादन 20 करोड़ 38.4 टन रहने का अनुमान है। यह पिछले साल दो करोड़ 4.5 लाख तक ही सीमित था। पूरा हिसाब देखा जाए तो सब्जी की खेती में लगभग 10 गुना ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिलेगा, जिसके लिए सरकार और किसान दोनों को धन्यवाद देना होगा। गौरतलब हो कि सब्जी की खेती के लिए सरकार भी काफी सब्सिडी एवं ऋण व्यवस्था की हुई है। इस अग्रिम अनुमान में यह भी देखा जा रहा है कि पिछले साल फलों का उत्पादन के मुताबिक इस साल 10 करोड़ 72.4 लाख तक बढ़ने का पूर्वानुमान है। जानकारी के अनुसार पिछले साल फलों का उत्पादन 10 करोड़ 24.8 लाख दर्ज किया गया था।